Menu
blogid : 7831 postid : 31

मेरा इख़्तियार नहीं

मुझे याद आते है
मुझे याद आते है
  • 48 Posts
  • 1061 Comments

तेरी तन्हाइयो के काबिल मै नहीं
तेरी सोच और जज्बातों से गाफिल मै नहीं
तु मुझे चाहे या न चाहे ,पर मुझसे तु अंजान नहीं

आज भी मेरी तन्हाई तुम्हे बुलाती है
तु आये या ना आये इस पर मेरा इख़्तियार नहीं

रात के आगोश में चमकता चाँद है
उसमे तेरा अक्स है इससे मुझे इंकार नहीं

राहे वफ़ा में मुसाफिर बहुत मिले पर
तू कुछ उनसे जुदा सा लगा इससे मुझे इंकार नहीं

आहट घुलती है इन सर्द रातो में जब तेरी
मेरी रग रग में घुल जाती है क़यामत
क़यामत की ख़ामोशी में ठहरने से मुझे इंकार नहीं

सनसनाती तेरी आवाज़ मेरे दिल में उतर जाती है
तुझे दिल में उतार लू इस पर मेरा इख़्तियार नहीं

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply