मुझे याद आते है
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चारो और खिली उमीदें ,अब रंगों की बारी है
पतझड़ बीता नए सृजन की तैयारी है
ओढ़ के आँचल हरियाली का ,
फल फूल महकने की बारी है
दो फूल मुझे भी दे दो ,मेरी बगिया खाली है
पतझड़ में मेरी भी महकने की बारी है
जल से सींचा ,मन और चाहत से सींचा
थोड़ा हाथ बंटाने की तुम्हारी भी बारी है !
ओढ़ के आँचल हरियाली का ,
फल फूल महकने की बारी है
बसंत पंचमी की शुभकामनाएं
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