Menu
blogid : 7831 postid : 57

कब्रिस्तान की ख़ामोशी

मुझे याद आते है
मुझे याद आते है
  • 48 Posts
  • 1061 Comments

चन्दन खुशबू,धुप की महक फैली है फिजाओं में
सुलगती लकड़ियों की चटकती आवाज़ गूँज रही  थी !!
साथ ही अपने से बिछड़ने के दर्द की सिसकियाँ
चिता सुलग रही थी ,मनो हर सुख जल रहा हो !!
माँ की ममता पिता का दुलार ,बहन का स्नेह
सभी कुछ तो सुलग उठा था !!
हर आंख्न में नमी थी ,हर दिल में दर्द था
ये रोज़ की कहानी थी उसकी निगाह में !!
कब्रिस्तान की ख़ामोशी ,सन्नाटे का खौफ
कभी गमज़दा न कर पाया था उसके दिल को !!
बेबस स्नेह उमड़ आता था उसके दिल में उन अपनों के लिए
आज भी निगाहे टिकी थी उस सुलगती चिता पर !!
कितनी चिताए सुलगती देखी,अनगिनत मुर्दा शरीर
आज भी मुर्दा जिस्म है उसकी निगाहों में …!!
अँधेरे कोने की ओर बेबस सी निगाहे उठी ,
एक मुर्दा जिस्म वहा भी है, बिना किसी अपने के !!
बिना दो गज का कफ़न ओड़े !!
आंसू उतर आये थे ,उसकी आँखों में
कब कफ़न ओर कब चिता नसीब होगी उसके जिगर के टुकड़े  को !!
हां ……..वो उसका बेटा था दुनिया को चिता देने वाले को इंतज़ार था
कब रात का सन्नाटा गहरा हो …कब उसके लाल को चिता/कफ़न नसीब हो!!!!!!

sadman1

चन्दन खुशबू,धुप की महक फैली है फिजाओं में
सुलगती लकड़ियों की चटकती आवाज़ गूँज रही  थी !!
साथ ही अपने से बिछड़ने के दर्द की सिसकियाँ
चिता सुलग रही थी ,मनो हर सुख जल रहा हो !!
माँ की ममता पिता का दुलार ,बहन का स्नेह
सभी कुछ तो सुलग उठा था !!
हर आंख्न में नमी थी ,हर दिल में दर्द था
ये रोज़ की कहानी थी उसकी निगाह में !!
कब्रिस्तान की ख़ामोशी ,सन्नाटे का खौफ
कभी गमज़दा न कर पाया था उसके दिल को !!
बेबस स्नेह उमड़ आता था उसके दिल में उन अपनों के लिए
आज भी निगाहे टिकी थी उस सुलगती चिता पर !!
कितनी चिताए सुलगती देखी,अनगिनत मुर्दा शरीर
आज भी मुर्दा जिस्म है उसकी निगाहों में …!!
अँधेरे कोने की ओर बेबस सी निगाहे उठी ,
एक मुर्दा जिस्म वहा भी है, बिना किसी अपने के !!
बिना दो गज का कफ़न ओड़े !!
आंसू उतर आये थे ,उसकी आँखों में
कब कफ़न ओर कब चिता नसीब होगी उसके जिगर के टुकड़े  को !!
हां ……..वो उसका बेटा था दुनिया को चिता देने वाले को इंतज़ार था
कब रात का सन्नाटा गहरा हो …कब उसके लाल को चिता/कफ़न नसीब हो!!!!!!

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply