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बंद कलियाँ

मुझे याद आते है
मुझे याद आते है
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Rose

सिमटी शरमाई सी  बंद ये कोमल कलियाँ

बंद की है भंवरो के लिए अपनी गलियां

धुप के टुकड़े आते है हर पल इन्हें मनाने

ओस की बंदे आती सुबह इन्हें लुभाने

मदमस्त होकर आकर लेने लगी फूल का

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अब तो भंवरो को भी नहीं डर शूल का

लहरा कर आ जाते चूमने कलियों का मुख!!

हवाओं ने भी लहरा लहरा कर गीत सुनाया

घटाओ ने झूम कर हवा का आँचल भिगोया!!

खुशबु से महक  उठा है धरा का दामन

भँवरे के गीत में कलियाँ खोई ,ली अंगड़ाई!!

देख रंगीले  फूल की मनमानी

भँवरे  भी हो गए अब तो अभिमानी!!

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