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“सौदागर कौन”

मुझे याद आते है
मुझे याद आते है
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” कृपया पुरुष  ब्लोगर्स इसे अन्यथा न ले ” तटस्थ भाव से प्रतिक्रिया देने का अनुरोध है !


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अख़बार में लेखिका नासिरा  शर्मा  का लेख पढा  :“पति और पत्नी में बड़ा सौदागर कौन” जिन्होंने एक वृद्ध पति पत्नी से जो बीमार है और एक दुसरे की सेवा में तत्पर है,  से बातचीत की .एक हैरान कर देने वाला  सच सामने आया  _पत्नी की सोच है  जो इस उम्र  में जो  मिल जाये वही ठीक है वर्ना पत्नी को ये शिकायत है जिन्दगी भर मुझसे प्यार न करने वाला और इधर उधर नज़र फेंकने वाला पति जानता है पत्नी ही उसके काम आएगी तभी वो उसकी सेवा करता है वरना जिन्दगी भर उसे नौकरनी से ज्यादा अहमियत  न दी और अब तो वो खुद भी बुढा हो गया है कोई औरत उसे पसंद भी न करेगी !पति का कहना है मैंने इस औरत को कभी तवज्जो नहीं दी अब इसकी सेवा कर रहा हु जिससे इसके हाथ पैर जल्दी ठीक हो जाये और ये काम करने लायक हो जाये ताकि मै अगर खाट पकड़ लू तो ये स्वस्थ होकर मेरी सेवा कर सके !

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ये रिश्ता है या सौदा  ?
हिन्दू संस्कारो में विवाह को  पवित्र बंधन का नाम दिया गया है !जहा लड़की को सिखाया जाता है पति देवता है .उसकी अवज्ञा से पाप लगेगा ,उसकी सेवा उसका धर्म है !विवाह को जन्मजन्मान्तर का रिश्ता माना जाता है ! क्या ये सब ढोंग है
स्त्री और पुरुष विवाह करके  जिदंगी का एक लम्बा हिस्सा एक दुसरे के साथ गुजार देते है ! क्या वो रिश्ता  एक मजबूरी है जो  उन पर थोप दी गई ,.एक समझोता …जो समाज के डर से निभाना भी जरुरी है !और लम्बे समय साथ रह रह कर एक दुसरे की जरुरत बन जाती है !उम्र के उस दौर में जहा बच्चे अपनी जिदंगी माता पिता से दूर रहकर अपने परिवार के साथ गुजरते है और वृद्ध माता पिता के पास एक दुसरे के साथ के अलावा कोई आश्रय नहीं है ! इसलिए वो एक दुसरे को तवज्जो देते है !एक दुसरे के साथ प्यार भरी बाते .साथ जीने मरने की कसमें .>एक दुसरे के बिना न रह पाने की बातें ,इन सब बातो के पीछे का सच क्या इतना ही कड़वा है ?अगर कुछ दिन के लिए पत्नी मायके चली जाये तो पति की प्यार भरी मनुहार “तुम्हारी बहुत याद आ रही है वापिस आ जाओ ना” ये पत्नी के प्रति प्यार और उसकी याद है या एक जरुरत .( पति की शारीरिक जरुरतो को पूरा करने का एक साधन) .जो पत्नी की अनुपस्थिति में महसूस होती है ….बना बनाया खाना  हाथ में धुले प्रेस किये हुए  कपडे, .साफ सुथरा बिस्तर हर चीज़ जो आपको चाहिए पत्नी उसे समय पर पूरा करती है  .और पत्नी की अनुपस्थिति में वो सब काम उसे खुद करने पड़ते है ………माँ का कहना कि अब तो तुम्हारी शादी हो गई है अब भी तुम्हारे  सब काम मै थोड़ी ना करुँगी ,अब तो तुम्हरी सेवा के लिए बीबी है …….बीबी नहीं हो गई एक नौकरानी हो गई …..पति भी यही समझता है मेरी सेवा के लिए एक अदद पत्नी वर्सेस  नौकरानी आ गई है जहा उसकी ही हुकूमत चलती है ,!मायके वाले कहते है अब तो पति ही तुम्हारा सब कुछ है और ससुराल ही तुम्हारा आश्रय ! अब बेचारी स्त्री कहा जाये ” जीना यहाँ मरना यहाँ ,इसके सिवा जाना कहा ” की तर्ज़ पर पूरी जिन्दगी वहा व्यतीत करने को बाध्य है !
विवाह का   पवित्र बंधन ,जन्मजन्मान्तर तक निभाना है या एक थोपे हुए रिश्तो को घडी की टिक टिक के साथ चलाना है ,जिन्दगी की अंतिम साँस तक जब तक शरीर  में दम है ,!आज अगर किसी भी शादी शुदा  दम्पति से पुछा जाये क्या इस रिश्ते में सचमुच प्यार है ?तो कोई भी इस कडवी सच्चाई को स्वीकार नहीं करेगा ……पर एक सोच है  विवाह को  पवित्र बंधन का नाम दिया जाये ( जैसा की सामाजिक रूप से स्वीकृत है )या एक समझौता .?

ये रिश्ता है या सौदा  ?
हिन्दू संस्कारो में विवाह को  पवित्र बंधन का नाम दिया गया है !जहा लड़की को सिखाया जाता है पति देवता है .उसकी अवज्ञा से पाप लगेगा ,उसकी सेवा उसका धर्म है !विवाह को जन्मजन्मान्तर का रिश्ता माना जाता है ! क्या ये सब ढोंग है
स्त्री और पुरुष विवाह करके  जिदंगी का एक लम्बा हिस्सा एक दुसरे के साथ गुजार देते है ! क्या वो रिश्ता  एक मजबूरी है जो  उन पर थोप दी गई ,.एक समझोता …जो समाज के डर से निभाना भी जरुरी है !और लम्बे समय साथ रह रह कर एक दुसरे की जरुरत बन जाती है !उम्र के उस दौर में जहा बच्चे अपनी जिदंगी माता पिता से दूर रहकर अपने परिवार के साथ गुजरते है और वृद्ध माता पिता के पास एक दुसरे के साथ के अलावा कोई आश्रय नहीं है ! इसलिए वो एक दुसरे को तवज्जो देते है !एक दुसरे के साथ प्यार भरी बाते .साथ जीने मरने की कसमें .>एक दुसरे के बिना न रह पाने की बातें ,इन सब बातो के पीछे का सच क्या इतना ही कड़वा है ?अगर कुछ दिन के लिए पत्नी मायके चली जाये तो पति की प्यार भरी मनुहार “तुम्हारी बहुत याद आ रही है वापिस आ जाओ ना” ये पत्नी के प्रति प्यार और उसकी याद है या एक जरुरत .( पति की शारीरिक जरुरतो को पूरा करने का एक साधन) .जो पत्नी की अनुपस्थिति में महसूस होती है ….बना बनाया खाना  हाथ में धुले प्रेस किये हुए  कपडे, .साफ सुथरा बिस्तर हर चीज़ जो आपको चाहिए पत्नी उसे समय पर पूरा करती है  .और पत्नी की अनुपस्थिति में वो सब काम उसे खुद करने पड़ते है ………माँ का कहना कि अब तो तुम्हारी शादी हो गई है अब भी तुम्हारे  सब काम मै थोड़ी ना करुँगी ,अब तो तुम्हरी सेवा के लिए बीबी है …….बीबी नहीं हो गई एक नौकरानी हो गई …..पति भी यही समझता है मेरी सेवा के लिए एक अदद पत्नी वर्सेस  नौकरानी आ गई है जहा उसकी ही हुकूमत चलती है ,!मायके वाले कहते है अब तो पति ही तुम्हारा सब कुछ है और ससुराल ही तुम्हारा आश्रय ! अब बेचारी स्त्री कहा जाये ” जीना यहाँ मरना यहाँ ,इसके सिवा जाना कहा ” की तर्ज़ पर पूरी जिन्दगी वहा व्यतीत करने को बाध्य है !

विवाह का   पवित्र बंधन ,जन्मजन्मान्तर तक निभाना है या एक थोपे हुए रिश्तो को घडी की टिक टिक के साथ चलाना है ,जिन्दगी की अंतिम साँस तक जब तक शरीर  में दम है ,!आज अगर किसी भी शादी शुदा  दम्पति से पुछा जाये क्या इस रिश्ते में सचमुच प्यार है ?तो कोई भी इस कडवी सच्चाई को स्वीकार नहीं करेगा ……पर एक सोच है  विवाह को  पवित्र बंधन का नाम दिया जाये ( जैसा की सामाजिक रूप से स्वीकृत है )या एक समझौता .?

Hindu-marrige

क्या आधुनिक  युवा वर्ग की “live  in  reletionship “ इन्ही समझौतों और परिस्थितियों  से  बाहर निकलने की कोशिश है ?क्या वो  शादी  जैसे रिश्ते की अहमियत नहीं समझते ,क्या  बदती उम्र में उनको अकेलेपन के सन्नाटो से बचने के लिए साथी की जरुरत नहीं होगी ?क्या नसीरा  जी के संपर्क में आये दम्पति अपवाद नहीं थे ?.क्यूंकि अपवाद तो हर जगह मौजूद है !ये सौदागरी कुछ  हद तक हो सकती है पर इससे वैवाहिक रिश्तो की अहमियत कम नहीं हो जाती ,इस सामाजिक रिश्ते  के साथ केवल दो व्यक्ति नहीं कई अनजान लोग जुड़ जाते है !जिससे सामाजिक सौहार्द में बढोत्तरी होती है !विवाह की महत्ता को किसी भी तरह से कम नहीं आँका जा सकता !

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